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यीशु के साथ क्रूस पर चढ़ाए गए दो अपराधियों के क्या अपराध थे?
उन दो डाकुओं को, जिन्हें यीशु के दाँये और बाँये लटकाया गया था, पकड़ने के लिए सैनिकों को कितनी मसकत् करनी पड़ी थी; परन्तु यीशु को बड़ी आसानी से पकड़ लिया गया था। यीशु को पकड़ कर महायाजक पिलातूस और राजा हेरोदेश के समक्ष बार-बार पेश किया गया, ताकि यीशु पर अपराधी घोषित करने के लिए सरकारी आदेश जारी कराया जा सके। आखिर वैसा ही हुआ, और इसी समय से यीशु को अपमान करने और यातनाएँ देने का सिलसिला प्रारम्भ हुआ। यीशु के सर पर काँटों का ताज और बदन में बैजनी वस्त्र पहनाया गया। उनके काँटों से लदे सिर पर ठोकर मारा गया, उनके मूँह पर थूका गया। उसके बाद ठट्ठों में उड़ाते हुए कहा गया, कि ‘अब सचमुच में यह राजा के समान दिखाई दे रहा है।’ उसके कंधे में एक भारी क्रूश को डाल दिया गया। क्रूश को ढोकर चलते हुए वे लड़खड़ा कर गिर पड़ते थे। उनके शरीर पर दो बार 39-39 कोड़े बरसाए गये। उनका शरीर लहलुहान हो गया था। यीशु के चेलों को लगा कि यीशु अपनी ईश्वरीय शक्ति से अपने-आप को बचा लेंगे, परन्तु उन बातों को याद करके निराश हो जाते थे कि यीशु इन घटनाओं के बारे में तो पहिले ही चर्चा कर चुके थे। गुलगुता नामक पहाड़ी के पास पहुँचने के बाद, उनके हाथों और पाँवों में कीलें ठोकी गई और उन्हें क्रूश पर लटका दिया गया। जो व्यक्ति कभी लोगों को जीवन दान दिया करते थे, अव वे क्रूश पर लटक रहे थे।
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