सोल्सटिस क्यों होता है?

कभी कड़ाके की ठंड होती है तो कभी पसीना बहाने वाली गर्मी, यानी मौसम बदलता रहता है। साल में कुछ महीने गर्मी तो कुछ महीने सर्दी पड़ती है। सीजन और मौसम की तरह ही दिन और रात की लंबाइयां घटती-बढ़ती रहती है। कभी आपने यह सोचा है कि ऐसा क्यों होता है। चलिए अगर नहीं सोचा है तो आज जान लीजिए। यह सब सिर्फ एक वजह से होता है और वजह धरती का झुके हुए अक्ष पर घूमना है। इसी कारण साल के आधे समय तक सूर्य उत्तरी ध्रुव की ओर झुका होता है तो बाकी आधे सालों में दक्षिण ध्रुव की ओर। इससे सीजन तय होता है। जिस तरफ सूर्य का झुकाव ज्यादा होगा और ज्यादा से ज्यादा सूर्य प्रकाश वहां पहुंचेगा, वहां गर्मी का मौसम होगा। दूसरी ओर जिस तरफ सूर्य का प्रकाश कम पहुंचेगा, वहां ठंड होगी। पृथ्वी अपने अक्ष पर साढे 23 डिग्री झुकी हुई है, जिसके कारण सूर्य की दूरी उत्तरी गोलार्द्ध से अधिक हो जाती है।

Winter Solstice के दौरान दक्षिणी गोलार्द्ध को सूर्य का प्रकाश ज्यादा प्राप्त होता है जबकि उत्तरी गोलार्द्ध को कम। ऐसा 21,22 या 23 दिसंबर को होता है। इससे उत्तरी गोलार्द्ध में दिन छोटा होता है और रात लंबी। विंटर सोल्सटिस की तरह ही समर सोल्सटिस होता है। इस दिन रात की लंबाई छोटी होती है और दिन की बड़ी। समर सोल्सटिस 20,21 या 22 में से किसी जून को पड़ता है। इस दौरान सूर्य का प्रकाश उत्तरी गोलार्द्ध में ज्यादा पड़ता है और दक्षिणी गोलार्द्ध में कम।

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