दस्तावेजों के मुताबिक, जीन्स के कपड़े का निर्माण 1600 की शुरुआत में इटली के एक कस्बे तुरीन के निकट चीयरी में किया गया था। इसे जेनोवा के हार्बर के माध्यम से बेचा गया। जेनोवा एक स्वतंत्र गणराज्य की राजधानी थी, जिसकी नौसेना बेहद शक्तिशाली थी। कई लोग मानते हैं कि जीन्स का नाम जेनोवा के नाम पर पडा़ है। जीन्स बनाने के लिए कच्चा माल फ्रांस के निम्स शहर से आता था, जिसे फ्रेन्च में दे निम कहते थे, इसीलिए इसके कपडे़ का नाम डेनिम पड़ गया।

और 18वीं सदी के आते-आते जीन्स दुनिया के कई देशों तक पहुंच गया। उन दिनों फ्रान्स और भारत में इस तरह के कपड़े को स्वतंत्र रूप से बनाया जाता था। भारत में इस कपड़े को डुंगारी कहते थे। इसे आमतौर पर मुंबई में रहने वाले नाविक पहना करते थे। साल 1850 तक जीन्स एक लोकप्रिय परिधान में गिना जाने लगा। और यही वह समय था, जब जर्मन व्यापारी लेवी स्ट्रॉस ने जीन्स को अपनी ब्रान्डिंग से बेचना शुरू किया।

स्ट्रॉस ने अमेरिका में इस नए परिधान का पेटेन्ट करा लिया और उनका यह बिजनेस चल निकला।

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