मेनार के धण्ड तालाब पर ऑस्प्रे पक्षी की भी आमद दर्ज हुई है । बोलचाल की भाषा में इसे समुद्री बाज या फिश हॉक भी कहते हैं। ये अपने शिकार और उसके अनूठे तरीके के बारे में जाना जाता हैं। शिकार करते वक्त उनका लक्ष्य ऐसा रहता है कि पानी या फिर समुद्र में तैरती मछली का महज 5 से 10 सेकंड में शिकार कर लेते हैं। पक्षी का नाम मछलीमार (ऑस्प्रे) है। ये मछलियों को पकड़ने में मछुआरों से भी तेज होता है । मछली पकड़ने वाले मछुआरों के पास तो ऐसे कई मौके आते हैं जब मछली उनकी पकड़ में नहीं आती है या फिर उनकी पकड़ से छूट जाती है लेकिन इस मछली मार पक्षी के शिकार बहुत कम ही खाली जाते हैं। वाइल्डलाइफ फ़ोटोग्राफर विधान द्विवेदी ने बताया कि ये ऊपर आकाश में उड़ते समय यह मछली मार पक्षी एक से दो मिनट में अपने शिकार को तलाश लेता है। इसके बाद वह तेज गति से पानी की तरफ झपटा मारता है और पानी में तैर रही मछली को अपने पंजों में पकड़कर फिर आकाश में उड़ जाता है। इसके बाद यह मछली को किसी पेड़ पर बैठकर उसे खाता है। यह यूरोपियन महाद्वीप के समुद्री तटों से ओस्प्रे पक्षी 6 हजार किमी से अधिक की दूरी तय कर भारत पहुंचते हैं। अप्रेल के शुरुआत में ये वापस चले जाते हैं। ऑस्प्रे का आहार 99 प्रतिशत तक मछली बनता है

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