गौरतलब है कि यूरोप में यहूदी लोग साहूकारी के धंधे में शुरू से प्रवीण रहे हैं और बाद में पूरी दुनिया में यह तथ्य की सच्चाई प्रमाणित भी हुई । इटली के लोम्बार्डी इलाके के यहूदियों का रूपए-पैसे के लेन-देन का एक खास ढंग था । ये लोम्बार्डी साहूकार बाज़ार में अपनी अपनी बेंच लेकर आते और उस पर विभिन्न तरह की मुद्राएं और कारोबारी दस्तावेज (हुंडिया वगैरह) रखकर मुद्राओं का लेन-देन व अन्य खरीद-बिक्री का काम करते ।

जब कोई साहूकार आर्थिक रूप से कमज़ोर हो जाता तो उसकी बेंच तोड़ दी जाती । बाद में इस क्रिया के लिए बैंक्रप्ट (दिवालिया) शब्द चल पडा़ । बाद में जब मुद्रा से संबंधित लेन-देन और उसे जमा करने का काम संगठित तौर पर होने लगा तो उस स्थान विशेष को ही बैक कहा जाने लगा।

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