एस्पिरिन का एक प्लेटलेट-विरोधी प्रभाव भी होता है, जो थ्राम्बाक्सेन उत्पादन के अवरोध से उत्पन्न होता है, जो सामान्य परिस्थितियों में प्लेटलेटों के अणुओं को आपस में बांधकर रक्त नलिकाओं के भीतर की भित्तियों पर हुई चोट पर एक चकत्ते का निर्माण करता है। चूंकि प्लेटलेटों का चकत्ता काफी बड़ा होकर रक्त-प्रवाह में उस स्थान पर या आगे कहीं भी रूकावट पैदा कर सकता है, इसलिये रक्त के थक्कों के विकास के अधिक जोखम वाले लोगों में एस्पिरिन का प्रयोग लंबे समय के लिये कम मात्रा में हृदयाघात, मस्तिष्क-आघात और रक्त के थक्कों की रोकथाम के लिये भी किया जाता है। यह भी पाया गया है कि हृदयाघात के तुरंत बाद थोड़ी मात्रा में एस्पिरिन देकर एक और हृदयाघात या हृदय के ऊतक की मृत्यु का जोखम कम किया जा सकता है। शब्द "एस्प्रिन" एक समय में एक ट्रेडमार्क था, जैसे क्लेनेक्स, या पीईपीएसआई, हालांकि रासायनिक जिसे हम आज "एएसपीआरआईएन" कहते हैं, एक पेड़ की छाल के अंदर से आया था। जैसा कि मिशनरियों ने देखा कि जब मूल निवासी पेड़ की छाल खाते हैं, तो उनकी पीड़ा दूर हो जाती है। वर्षों बाद इस पेड़ की छाल से रासायनिक यौगिकों को विभिन्न रसायनों के उपयोग से निर्मित किया जा सका और इसे 'ASPRIN' के रूप में जाना जाने लगा।

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