इबोला वायरस का पता पहली बार 1976 में दक्षिण सूडान और कांगो में चला था. बाद में इबोला नदी के पास एक गांव में यह सामने आया था, जहां से इस वायरस का नाम इबोला रखा गया. वायरस का पता चलने के बाद पहली बार बड़े पैमाने पर 2014-2016 पश्चिम अफ्रीका में इबोला का कहर बरपा था. यह गिनी से शुरू हुआ और जमीनी सीमा को पार करते हुए सिएरा लियोन और लाइबेरिया तक पहुंच गया था.

सिएरा लियोन में 14 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए थे और करीब 4,000 लोगों की मौत हुई थी. लाइबेरिया में 10 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए थे और 48 सौ से अधिक की मौत हुई थी. गिनी में करीब 3,800 लोग प्रभावित हुए थे और 2,500 से ज्यादा की मौत हुई थी. इसके बाद 2018-19 में पूर्वी कांगों में बड़े पैमाने पर लोग प्रभावित हुए.

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