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रोमन काल के दौरान एक डिनैरीअस क्या था?
इसी प्रकार भारतीय ज्योतिष का रोमक सिद्धान्त रोम विचारों से ही प्रभावित लगता है । रोमन राजाओं के अनुकरण पर भारतीय कुषाण राजाओं ने भी मृत शासकों की स्मृति में मन्दिर तथा मूर्तियां (देवकुल) बनवाने की प्रथा प्रारम्भ किया था । गुप्त राजाओं ने अपने सिक्कों की तौल रोमन ‘डेनेरियस’ नामक स्वर्ण मुद्राओं के आधार पर निर्धारित किया । कुछ विद्वान् भारतीय स्वर्णमुद्रा दीनार की उत्पत्ति रोमन ‘डेनेरियस’ से ही मानते है।
गुप्त युग में भी भारत का व्यापार पश्चिमी जगत् के साथ अवाधगति से चलता रहा । कुमारस्वामी के अनुसार यह काल पोत निर्माण के लिये सर्वाधिक उल्लेखनीय है । इस काल के कुछ जहाजों में एक साथ 500 व्यक्ति यात्रा कर सकते थे । इस समय जल तथा थल दोनों ही मार्गों से पश्चिमी देशों के साथ व्यापार होता था ।
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