हस्पति ग्रह के रहस्यमयी विशाल लाल धब्बे का रहस्य खुल गया है। इस सुर्ख रंग का कारण कुछ रसायन हैं जिन पर सूर्य की रोशनी पड़ने से वह अवयवों में टूटकर अलग प्रभाव देता है। पहले इस लाल धब्बे का चटख रंग ग्रह के बादलों के नीचे से आना माना गया था। नया सिद्धांत नासा के कासिनी उपग्रह से सन्‌ 2000 के दिसंबर में मिले आंकड़ों और प्रयोगशाला में मिले नतीजों के विश्लेषण पर आधारित है।

प्रयोगशाला में किए प्रयोग में अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि चटख लाल रंग का कारण अमोनिया और एक्टीलीन गैसों की मौजूदगी है। ये पहले से ही ज्ञात है कि ये दोनों रसायन बृहस्पति ग्रह पर मौजूद हैं। इन गैसों पर सूर्य की पराबैंगनी किरणें पड़ने पर बृहस्पति के उत्तरी धु्रव में पहाड़ों के ऊपर से ये लाल रंग नजर आने लगता है। अंतरिक्ष से लाल रंग का तूफान जैसा धब्बा दरअसल सूर्य की किरणों से अमोनिया और एक्टीलीन गैसों पर प्रभाव का नतीजा ही है। नासा के कासिनी टीम के वैज्ञानिक केविन बेन्स ने बताया कि सूर्य के कारण बाहर से चटख लाल रंग के दिखते बादल दरअसल अंदर से सफेद या स्लेटी रंग के नजर आते होंगे।

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