बाँस पारिस्थितिकी के अनुकूल, जैव-क्षयी एवं प्राकृतिक निर्माण पदार्थ है जिसमें बेहतर क्षमता एवं निर्माण गुण है। अंग्रेजी का 'बम्बू' शब्द भारतीय शब्द 'मंबु' या 'बम्बु' से उत्पन्न हुआ है। बाँस बहुत तेजी से बढ सकते है। कुछ प्रजातियों में तो यह एक दिन में 1 मीटर तक बढ जाता है। बाँस उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका, ऑस्टेंलिया एवं दक्षिणी एशिया में पाया जाता है। चीन में बाँस की सबसे अधिक प्रजातियाँ पाई जाती है। विभिन्न प्रकार के प्रक्षेत्रों एवं विभिन्न ऊँचाई वाले इलाकों 1⁄4 समुद्र स्तर से 3500 मीटर की ऊँचाई तक1⁄2 में बाँस का उत्पादन होता है। बाँस अन्य तीव्र गति से बढ़ने वाले पेड़ों की तुलना में वातावरण से कई गुना ज्यादा कार्बन संरक्षित करता है। बाँस के क्षेत्र मृदा के ऊपरी हिस्से के संरक्षण में सर्वाधिक कारगर हैं।

बाँस से जैव उत्पादन, इसकी प्रजाति, क्षेत्र, वातावरण एवं जलवायु पर निर्भर करता है। इससे जैव उत्पादन 50 से 100 टन प्रति हेक्टेयर हो सकता है। जिसमें 60-70 प्रतिशत कलम, 10-15 प्रतिशत टहनी एवं 15 से 20 प्रतिशत होते है। बाँस का एक हेक्टेयर रोपित क्षेत्र प्रति वर्ष वातावरण से 17 टन कार्बन अवशोषित कर सकता है।

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