चर्मपत्र (Parchment) बकरी, बछड़ा, भेड़ आदि के चमड़े से निर्मित महीन पदार्थ है। इसका सबसे प्रचलित उपयोग लिखने के लिये हुआ करता था। चर्मपत्र, अन्य चमड़ों से इस मामले में अलग था कि इसको पकाया (टैनिंग) नहीं जाता था किन्तु इसका चूनाकरण अवश्य किया जाता था। इस कारण से यह आर्द्रता के प्रति बहुत संवेदनशील है।

ऐसा कहा जाता है कि परगामम के यूमेनीज़ द्वितीय ने, जो ईसा के पूर्व दूसरी शताब्दी में हुआ था, चर्मपत्र के व्यवहार की प्रथा चलाई, यद्यपि इसका ज्ञान इसके पहले से लोगों को था। वह ऐसा पुस्तकालय स्थापित करना चाहता था जो एलेग्ज़ैंड्रिया के उस समय के सुप्रसिद्ध पुस्तकालय सा बड़ा हो। इसके लिये उसे पापाइरस (एक प्रकार के पेड़ की, जो मिस्त्र की नील नदी के गीले तट पर उपजता था, मज्जा से बना कागज जो उस समय पुस्तक लिखने में व्यवहृत होता था) नहीं मिल रहा था। अत: उसने पापाइरस के स्थान पर चर्मपत्र का व्यवहार शुरू किया। यह चर्मपत्र बकरी, सुअर, बछड़ा या भेड़ के चमड़े से तैयार होता था। उस समय इसका नाम कार्टा परगामिना था। ऐसे चर्मपत्र के दोनों ओर लिखा जा सकता था, जिसमें वह पुस्तक के रूप में बाँधा जा सके।

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