नाक के ठीक नीचे. अपर लिप पर. एक खांचा जैसा है. वो एरिया जहां मेरी मूंछों में मांग सी निकली हुई है. ऐसा लगता है जैसे वो जगह शापित है. गड्ढा रहेगा और फ़सल नहीं उगेगी. लेकिन गड्ढा क्यूं? बरसात का पानी जम जाए तो मच्छर पनपने का खतरा है. कोई गाड़ी गुज़रे तो राह चलते किसी की पैंट पे गंदा पानी पड़ जाए. ये सब नहीं सोचा जिसने भी हमें बनाया. बस, नाक के नीचे एक गड्ढा दे दिया. छोटा सा. जैसे उसमें रखकर दूध और कॉर्न फ्लेक्स खायेंगे हम.

लेकिन ये गड्ढा ससुर होता क्यूं है? इस बात पर साइंटिस्ट्स काफ़ी वक़्त से माथापच्ची कर रहे थे. लेकिन उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था. मगर अब पर्दा उठ चुका है. इसे फिल्ट्रम कहते हैं. अंग्रेजी में Philtrum.

असल में ये वो जगह है जहां चेहरे के कई हिस्से आपस में जुड़ते हैं. ऐसा आपके साथ तब हो जाता है जब आप एक एम्ब्र्यो (भ्रूण) मात्र थे. यानी अपनी मम्मी के पेट के अन्दर. उस वक़्त आपकी हालत कुछ ऐसी होती है:

उसके बाद कुछ दिनों में आप (और मैं) ‘खुलना’ शुरू होते हैं. हम असल में खुल ही रहे होते हैं. एकदम ऐसे जैसे छोटे से टिफ़िन में आलू का मोटा सा पराठा सिकोड़ के रख दिया गया हो.

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