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जॉन हैरिसन ने किस उपकरण का आविष्कार किया था?
देशांतर ज्ञात करने के लिए सच्ची घड़ी बनाने का पहला प्रयास विख्यात वैज्ञानिक क्रिश्चियन हाइगेन्स ने १६६२-७० में किया था, पर उनकी बनाई घड़ियों में ताप के घटने बढ़ने तथा जहाज के हिने डोलने के कारण बहुत अंतर पड़ जाता था और समय अधिक सचाई से नहीं नापा जा सकता था। १७१४ में ब्रिटिश सरकार ने ऐसा कालमापी बनाने के लिए, जो प्रतिदिन तीन सेकंड से अधिक तेज सुस्त न हो, २०,००० पाउंड (लगभग ढाई लाख रुपए) के पुरस्कार की घोषणा की। यह पुरस्कार जॉन हैरिसन ने जीता जिसने १७२९-६० में चार कालमापी बनाए, परंतु हैरिसन को कालमापी बनाने में मूल्य बहुत अधिक पड़ता था। पेरिस के पियर लरूआ ने १७६५ में और इंग्लैंड के जॉन आर्नोल्ड और टामस अर्नशा ने १७८५ में जो कालमापी बनाए वे आधुनिक यंत्रों से बहुत कुछ मिलते-जुलते थे। आधुनिक कालमापी का प्रयोग ठीक से करने पर वह बहुत ही सच्चा समय बताता है। दिन भर में एक सेकंड से अधिक अंतर नहीं पड़ने पाता। इस सूक्ष्म अंतर के कारण महीने भर चलने के बाद भी जहाज की गणना की स्थिति और सच्ची स्थिति में आठ मील से कम ही अंतर पड़ने पाता है। प्राचीन काल में सच्चे कालमापियों का महत्व बहुत अधिक था, क्योंकि इनके अभाव में लंबी यात्रा करना असंभव होता था। परंतु अब रेडियो संकेतों द्वारा सच्चे ग्रिनिच समय का पता दिन में कई बार मिलता रहता है और कालमापियों का बहुत सच्चा रहना पहले जैसा महत्वपूर्ण नहीं रह गया है।
और जानकारी:
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