लंदन का अंडरग्राउंड सिस्टम दुनिया की पहली मेट्रो व्यवस्था थी, लिहाजा दूसरे बड़े शहरों के मेट्रो रेल के लिए यह आदर्श बना. इसकी कामयाबी से भी लोग इसकी तरफ ज्यादा आकर्षित हुए. लंदन मेट्रो चलाने का 86 फीसदी खर्च आज भी यात्रियों के टिकट से निकाल लिया जाता है. लंदन अंडरग्राउंड के अलग अलग रूटों को अलग अलग रंग देकर मैप में तब्दील करने का काम 1933 में किया गया. अब दुनिया भर के मेट्रो रेल इसी की नकल करते हुए अपने मैप तैयार करते हैं.

लाल और नीले रंग का लोगो भी लंदन और ब्रिटेन तो क्या, पूरी दुनिया में पहचाना जाता है. कई दूसरे शहरों के ट्रेनों ने भी इससे मिलते जुलते लोगो ही तैयार किए. ब्रिटेन और भारत में रेलवे लगभग एक ही समय में शुरू हुआ लेकिन भारत के पहले मेट्रो (कोलकाता) की शुरुआत लंदन अंडरग्राउंड से 120 साल बाद 1984 में हुई. दिल्ली का मेट्रो तो 2002 में ही शुरू हो पाया.

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