शायद ही कोई इस पर विश्वास कर सकता है लेकिन महान महासागर इतना विशाल है कि यह एक बोनस के रूप में सभी महाद्वीपों और यहां तक कि ग्रीनलैंड द्वीप को भी फिट कर सकता है।

वैज्ञानिक अन्वेषकों तथा साहसिक नाविकों द्वारा इस महासागर के विषय में ज्ञान प्राप्त करने के अनेक प्रयत्न किए गए तथा अब भी इसका अध्ययन जारी है। सर्वप्रथम पेटरब्युक महोदय ने इसके बारे में पता लगाना आरंभ किया। इसके पश्चात् बैलबोआ, मागेमेनदान्या, हॉरिस (Horace), कुकु आदि यूरोपियनों ने प्रयत्न किया। द्वितीय विश्व महायुद्ध समाप्त होने पर संयुक्त राष्ट्र ने इसके बारे में खर्च के निमित्त अनेक प्रयास किए, जो सफल व्यापार तथा पूँजी विनियोग के विकास के लिये लाभदायक सिद्ध हुए। अब भी निरंतर प्रशांत महासागर के गर्भ के बारे में ज्ञान प्राप्त करने के लिये अन्वेषण जारी हैं।

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