हमारे दाँतों की रचना - नीचे और ऊपर के जबड़ों में जो अस्थि जैसी संरचनायें पंक्तियों में हैं ये ही दाँत हैं। वयस्क व्यक्ति में 32 दाँत होते हैं। प्रत्येक जबड़े में 16-16 दाँतों में से कुछ दाँत दो बार निकलते हैं। यह दाँत देखने में सब एक जैसे लगते हैं, जबकि ऐसी बात नहीं है। रचनात्मक दृष्टि से इनमें थोड़ा अन्तर भी है।

जन्म के 6-7 मास पूरे होते-होते दाँत निकलने लगते हैं। इन्हें दूध के दाँत (मिल्क टीथ) कहते हैं। दूध के दाँत पहले नीचे के जबड़े के सामने से निकलते है। इन दूध के दाँतों की संख्या बीस होती है, जो 3 वर्ष पूरा होते-होते निकल आते हैं। छठें से सातवें वर्ष से ये दूध के दाँत गिरने लगते हैं। ये एक साथ सब नहीं गिरते हैं, बल्कि 1-1 कर गिरते हैं और उनके स्थान पर पुनः नये दाँत निकलने लगते हैं। ये दाँत स्थायी होते हैं। स्थायी दाँत दूध के अस्थायी दाँतों के स्थान पर निकल आते हैं। 12-13 वर्ष की आयु तक दूध के सारे दाँत गिर जाते और उनके स्थान पर नयेे दाँत निकल आते हैं। इनके साथ-साथ कुछ और नये दाँत निकल आते हैं, जिनकी संख्या 28 तक पहुँच जाती हैं। दूध के दाँत स्थायी दाँतों की अपेक्षा छोटे और चमकीले होते हैं। यदि शरीर में कैल्सियम की कमी हो तो दाँत उचित समय पर नहीं निकलते और निकलने के समय बच्चे को काफी कष्ट भुगतने पड़ते हैं।

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