जूडो (柔道) डॉ कानो जिगोरो द्वारा 1882 में जापान में बनाया गया एक आधुनिक जापानी मार्शल आर्ट और लड़ाकू खेल है। इसकी सबसे प्रमुख विशेषता इसका प्रतिस्पर्धी तत्व है, जिसका उद्देश्य अपने प्रतिद्वंद्वी को या तो जमीन पर पटकना, गतिहीन कर देना या नहीं तो कुश्ती की चालों से अपने प्रतिद्वंद्वी को अपने वश में कर लेना, या ज्वाइंट लॉक करके अर्थात् जोड़ों को उलझाकर या गला घोंटकर या दम घोंटू तकनीकों का इस्तेमाल करके अपने प्रतिद्वंद्वी को समर्पण करने के लिए मजबूर कर देना है। हाथ और पैर के प्रहार और वार के साथ-साथ हथियारों से बचाव करना जुडो का एक हिस्सा है लेकिन इनका इस्तेमाल केवल पूर्व-व्यवस्थित तरीकों (काता) में होता है क्योंकि जुडो प्रतियोगिता या मुक्त अभ्यास (रंदोरी) में इसकी इजाजत नहीं दी जाती है।

"जुडो" शब्द की जड़ उसी चित्रलिपि से निकली है जहां से "जुजुत्सु" शब्द की निकली है: "jū" (柔?), जिसका मतलब इसके सन्दर्भ के आधार पर "नम्रता", "कोमलता", "लचीलापन" और "आसान" भी हो सकता है। हालांकि jū (जु) का अनुवाद करने के ऐसे प्रयास भ्रामक होते हैं। इनमें से प्रत्येक शब्द में jū (जु) का इस्तेमाल "soft method" (柔法 jūhō?) के मार्शल आर्ट्स के सिद्धांत का एक स्पष्ट सन्दर्भ है। कोमल तरीके को प्रतिद्वंद्वी को हराने के लिए लगाए जाने वाले बल के अप्रत्यक्ष अनुप्रयोग द्वारा अभिलक्ष्यित किया जाता है।

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